आशिको की गली का मैं सबसे अंतिम मकान हूं ।
तुझ में से बना हुवा भावनाओ की दिवालो का घर हूं ।।
यू मत सताया करो बारिश की बूंदों की तरह मुझे ,
तेरी बूंदों से बनी नदी से मिलने को बेचैन समुद्र हूं ।।
थोड़ा सोच के खयाल करना हमारा भी कभी कभी,
मैं तेरे प्यार मैं बना नया नया मोड़ लेता किनारा हूं ।।
टूट जाने से कब ख़त्म होता हैं टूट जाना किसिका भी
ह्रदय टूट के मिलने से अवनि का नया आकार बना हूं ।।
-Jadeja Ravubha P