नन्हा मिठ्ठू
कल प्यारा सा घर में देखो,
नन्हा एक मेहमान आया।
उसे देखकर सब प्रसन्न है
चेहरों पर सबके खुशियां लाया।।
पर उस नन्हें मिठ्ठू के चेहरे पर,
कल से बड़ी उदासी छाई है।
कुछ भी नहीं वह बोल रहा है,
कल से उसकी आवाज नहीं आई है।।
वह तो है अभी छोटा सा,
सबको टुक टुक देखा करता है।
अपनी गोल गोल सी आंखों से,
इधर उधर टटोला करता है।।
है नई जगह से वह अंजान,
इस लिए गुमशुम और उदास है।
कब वह सबसे घुले मिलेगा,
यही तो सबके मन में आस है।।
मिठ्ठू बेटे को राम राम का पाठ,
सभी लोग तो पढ़ा रहे है।
राम राम की रट कब लगायेगा,
यही विचार मन में आ रहे हैं।।
एक दिन ऐसा भी आयेगा,
जब नन्हा मिठ्ठू भी बोलेगा।
नव आगुंतकों के आने पर,
जय श्री राम वह बोलेगा।।
किरन झा मिश्री
-किरन झा मिश्री