कभी जिंदगी मे कितने आज़ाद थे हम
विज्ञान ने की तरक्की और कैद हो गये हम।
विज्ञान ने बनाई चीजे हमारी सहूलियत को
पर देखो कैसे इनके गुलाम हो गये हम।
जब ना था मोबाइल फोन का जमाना
आराम् से घूमने सब जाते थे नजारो का लुत्फ़ उठाते थे
अब कही भी चले जाओ देश दुनिया के कोने मे
फेसबुक, व्हाट्सप्प स्टेटस मे ही घिरे रह जाते है ।
पहले हाथ से बेफिक्र हो कपड़े धूल जाते थे
अब बिजली के इंतज़ार मे दिन गुजर जाते है ।
पहले मटके का पी पानी सेहत बनाते थे
अब फ्रीज का पीते है फिर दवाई खाते है।
वैक्युम क्लिनर , ओवन और ना जाने क्या क्या घर मे लाते है
बजाय उन्हे अपना गुलाम बनाने के खुद कैद हो जाते है।
विज्ञान को अपनी सहूलियत के लिए भले इस्तेमाल करो
पर खुद आज़ाद रहो उन्हे अपनी कैद मे करो।