क्या है तू..................
कोई कहता है तू सबके साथ है,
औरों के साथ - साथ तुझे भी सही वक्त का इंतज़ार है,
देख रही है तू कि कहां जाना है,
असमंजस में इंसान ही नहीं,
तेरा भी नाम आता है........................
तकदीर या किस्मत तुझे किस नाम से पुकारे,
तू ही बता तुझे खुश करने के लिए और कितनी रातें गुज़ारे,
खफा है तू या फिर तेरा मूड़ नहीं है,
मेहनत भी साथ छोड़ने लगी है,
पर एक तू है जो साथ निभाने आती नहीं है......................
अब जागेगी, तब जागेगी ना जाने तू कब जागेगी,
उम्मीदें भी सवाल करने लगी है,
थकती नहीं क्या ? ये पूछने लगी है,
कैसे कह दूँ कि तू दगाबाज़ हो गई है,
केवल आज़माती है मुझे, तू तो मुझे छोड़,
बहुतों की हो चुकी है....................