प्रशस्ति पत्र
आदरणीय श्री सरन घई जी,
विश्व हिन्दी संस्थान, कनाडा
"विश्व हिन्दी संस्थान", अनुपम इसकी शान।
परचम है लहरा रहा, भारत का सम्मान।।
धन्य हुए हम आज हैं, मिला सुखद संजोग।
फिर अवसर है आ गया, कवि सम्मेलन योग।।
सात बरस के बाद का, लम्बा था वैराग्य।
पाया है सानिध्य अब , मुझे मिला सौभाग्य।।
मातृभूमि से दूर पर, है हिंदी से प्यार।
सरन घई की नाव है, खेते हैं पतवार।।
केनेडा की धरा में, अद्भुत बड़ा "प्रयास"।
हिन्दी दिल में है बसी, सुखद हुआ अहसास ।।
देश प्रेम की यह छटा, राष्ट्र भक्ति उद्गार ।
दिल में दीपक है जला, फैल रहा उजियार ।।
मोदी की सरकार ने, हिन्दी का सम्मान।
राष्ट्रवाद की गूँज से, बनी जगत पहचान।।
आओ मिल वंदन करें, हिंदी का हम आज।
विश्व पटल पर छा गयी, भारत को है नाज।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "
संस्थापक
"मंथन" संस्था
जबलपुर म. प्र. (भारत)
30 जुलाई 2022