काश अपने सारे दुःखो को एक कागज पर लिखकर
बहा देते उसे बारिस के पानी मे 'नौका' बनाकर
उपर नीचे दुर जाता देखते उस 'नौका' को
किसी अपने को भेज दिया जैसे दूर गाव को
शांति भी देता है करता है अशांत भी ये ख्याल
क्या मुल्य रहेगा फूलो का कांटो को निकाल
कभी भँवर मे है नाव तो कभी बस नौका विहार
जिंदगी की नाव चलती दुःखो की नदी के आर पार
न चलाएगा पतवार तो डूब जाऐगा मांझी तू
बच न पाएगी कस्ती हार जाएगा बाजी तू
-Daxa Bhati