आंसू...................
मौका कोई भी हो,
ये अपनी जगह बना ही लेते है,
खुशी में झलकते है,
ग़म में टपकते है,
ऐ अपनी पहचान बना ही लेते है.............
आँखों का भारी होना माना की निंद की निशानी है,
पर उसका भर आना कोई और ही कहानी है,
कोई सुबक - सुबक कर रोता है,
कोई चीखता और चिल्लाता है,
मंज़र कोई भी हो ज़ाया तो आंसू हो जाता है................
खारे पानी का सुना था हमनें,
बहा तो पता चला आंसू भी खारा होता है,
साफ किया तो अंदाज़ा हुआ,
कितना भी धो लो आँखों पर असर छोड़ ही जाता है...................
सफल हो जाओ तो ऐ बरसते है,
असफलता पर तो हम फूट - फूट कर रोते है,
दिल भर आता है जब किसी अज़ीज़ को खो देते है,
जाने वाला चला गया उसकी याद में हम,
तन्हा ही रोते है......................