चिडिया रानी चिडिया रानी।
तुम हो मेरे बाग के पेडोकी रानी।।
भौर भये उठ जाती हो।
नीत नीत नए गाने गाती हो।।
क्या तुम भी स्कुल पढने जाती हो।
या फिर नौकरी करने को जाती हो।।
शाम होते ही आ जाती हो।
बच्चोका दाना ले कर आती हो।।
चोंच भर भर कर दाना खिलाती हो।
चीँ-चीँ चहक कर गाना सुनाती हो।।
तेरे चीँ-चीँ चहकने से बगिया गुंजती हमारी।
और हमारा मन प्रसन्न हो जाता है।।
-Daxa Bhati