लगा कंठ में भस्म चिता की, असुरों का माँ दहन करो।
खाली खप्पर भरो रक्त से, अब रक्तबीज का हनन करो।।
खुलेआम चुनौती देते दानव, मानव बनकर के घूम रहे।
संहार करो मां सिंह वाहिनी, सब दुष्ट हवा में झूम रहे।।
अपमान किया है माई तुम्हारा, लीना मणि मेंकलई ने।
जो मर्यादा को लांग रही, जिसे चेहरा बनाया है कई ने।।
उतरी समर्थन में महुआ और उसके समर्थन में है थरूर। इन सब की दुष्टता का उत्तर मां देना है तुमको जरूर।।
दंड भयानक इतना हो कि देखा कण कण कांप उठे।
अग्नि तन को तड़पाए और मस्तक से ताप की भाँप उठे।।
नेत्र की दृष्टि मिटे नहीं, देखे ये अंत तक मां का प्रकोप।ताकि अगली योनि रहे निरंतर इनके मन में ग्लानि, क्षोभ।।
मां काली को कहते ये दानव भांति - भांति के रूप अनेक। अब प्रलय की देवी मां काली तुम रूप धरो ज्वाला का एक।।
यह पापी दैत्य नहीं है लायक पाने के मनुष्य की योनि को।
इन्हें फेंक दो उस योनि में मां जहां पश्चाताप की अग्नि हो।।
उस अग्नि में ये वामपंथ के चेहरे तिल तिल कर तड़पेंगे।
प्रेतों का जीवन जिएंगे जब यह अनछुए प्राण को पकड़ेंगे।।
शक्ति स्वरूपा मां रुकना न, दैत्यों ने रण में ललकारा है। नहीं रोकने आएंगे शिव शंकर, भक्तों ने तुम्हे पुकारा है।।