हम दोनों के विवाह का देखो,
शुभ दिन आज ये आया है।
हँसी खुशी से छः वर्ष गुजर गए,
मन में कड़वाहट नहीं आया है।।
लगता है कि कल ही की बात है,
वो हमें देखने आए थे।
उन्होनें हमें देखा,हमने उन्हें देखा,
देखकर हम दोनों शर्माए थे।।
महादेव के मंदिर में हम दोनों ने,
एक दूसरे को देखा था।
साक्ष्य बनाकर महादेव जी को,
मन को एक दूसरे के लिए रोका था।।
हम दोनों के मन की बातें,
महादेव तक जा पहुंची थी।
आनन फानन में ही दोनों की,
विवाह की तारीख आ गई थी।।
पाणिग्रहण संस्कार का ये दिन,
जल्दी ही देखो आ गया था।
हम दोनों के परिवार वालों ने,
परिणय सूत्र में बांध दिया था।।
थे एक दूसरे के लिए अजनबी,
पर विवाह सूत्र में बंध गए थे।
इस बंधन में बंधते हुए ही,
एक दूसरे में फिर खो गए थे।।
अच्छी हो या बुरी आदतें,
हम दोनों ने स्वीकारी थी।
सुख दुख आपस में बांटकर,
एक दूसरे से हमनें साझी थी।।
ऐसे ही जीवनभर हमको,
एक दूसरे का साथ निभाना है।
बुरी बातों को अनदेखा करके,
अच्छी बातों को अपनाना है।।
किरन विनोद झा
-किरन झा मिश्री