वो पागल सी झल्ली लड़की
हर बात पर ख़ामोश यूँ रहती है...
ग़ुस्सा मैं होता हूँ पर
मुँह वो फुलाती है...
अपनी हर तकलीफ़ को
चुपचाप वो सहती है...
ज़रा ज़रा सी चीज़ों पर
बच्चों के जैसे खिलखिलाती है...
मामूली सी बातों पर
सुबक सुबक कर रोती है...
नादानी है उसकी ये या
उसे भी मुझसे प्यार है...
छोटे छोटे उसके सपने
छोटा सा उसका संसार है...
मैं हर बार जब भी मिलता
वो गुम सुम सी क्यूँ रहती है...
वो पागल सी झल्ली लड़की
हर बात पर ख़ामोश यूँ रहती है...
-स्मृति