जिंदगी एक बहाव है
समय में बहती नाव है
आख़िर जाना है वंही
जहां रब का गाँव है
हम धरती पे परदेशी
जाने कौन नगर के वासी
कौन जाने किसका यहां
कितने दिन पड़ाव है
आख़िर जाना है वंही
जहां रब का गाँव है
मुफ्त में मिली है सांसे
फिक्र होगी किसे कहां से
फर्क जाने ना कोई
क्या अंधेरा क्या छाँव है
आख़िर जाना है वंही
जहां रब का गाँव है