हाँ शायद बदली हूँ !
पर पहले तुम नही?
आये थे शर्त कोई न थी ,
जाने की कोई बात न थी |
थे गुण ही गुण मुझमे पहले,
आवगुन की तो बात न की ,
धीरे -धीरे , बाट धरा ,
लगे तौलने मुझको तुम ,
गुण की खेती सूख गई,
अवगुण की सूखी घास चुभी |
बिन शर्तो का आना था ,
आकर कभी न जाना था |
धीरे - धीरे बटने लगे जिव्हा
मे कटने लगे ,बाँध दिया अवसर मे
मुझको |
बाकी न बातें याद रही |
मेघ के आने से पहले ही ,
हरियाली मे खोये तुम |
धीरे- धीरे लगे मिटाने
मुझको , अपनी साख बचाने |
मार दिया ! जीवित ही हूँ क्या?
साँसो का चलना जीवन है ?
बदली - बदली लगती तो भी क्या ?
जिन मेघो मे बरसात नही |