आधुनिकता की चकाचौंध ने कर्ज को दे लोन का रूप
सस्ती ब्याज दरों का ऐसा मायाजाल बिछाया
दिखावे की अंधी दौड़ में बिन सोचे समझे सबने खूब लोन उठाया
किस्त भरने की जब आई बारी, बढता ब्याज देख फिर सिर चकराया
बड़े बूढ़े सयाने सही कह गए भइया, दिखावे से बड़ी नहीं कोई बीमारी
एक बार जो लग जाए तो कर्जे ब्याज भरने में बीत जाती ये जिंदगानी।।
-Saroj Prajapati