कुछ खत्म हुए,
कुछ चले गये ,
कुछ जा रहे हैं,
कुछ जाने वाले ,
कुछ बदल गये,
कुछ शायद बदलने वाले हैं|
एक न गये तो तुम ,
हाँ ! कुछ बदले हो तुम भी!!
दूर से और नजदीक
तुम्हारी स्थिति और
मजबूत होती गई|
तुममे मेरी और मुझमे तुम्हारी
प्रीत बढ़ती गई |
आँख मूँदकर देख ही न पाती
तुम्हारी छवि मै ! मगर हाँ ! !
महसूस करती हूँ तुम्हें तुम्हारे
कर्तब में | नित नये -नये
तरीके ढूँढकर करा देते हो अहसास ,
पास मेरे होने का |
छीनकर अकेलापन मुझसे ,
एकान्त मे आन्नद भर जाते हो ,
यही वह प्रेमानुभूति है ,
निरासक्त मेरी साँसो को थामे हुए है |

Malayalam Poem by Ruchi Dixit : 111812173

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