Hindi Quote in Poem by किरन झा मिश्री

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नमन मंच
विषय-मेरा मुझमें कुछ नहीं
दिनांक -05/06/2022

मैं हूं दुनियांदारी से अंजान,
ज्यादा नहीं है मुझमें ज्ञान।
सबकी बातों को सुनकर ही,
रखती रहती हूं मैं सबका ध्यान।।

मेरा मुझमें कुछ भी नहीं है,
मां और पिता की मैं हूं संतान।
उनके सिखाए आदर्शो पर चलना है,
तभी मिलेगा उनको सम्मान।।

मां बाप की दी हुई शिक्षा को,
जीवन में अपने उतारना है।
उन्ही के मार्गदर्शन से ही,
वैवाहिक जीवन सफल बनाना है।।

जिससे जोड़ा है गठबंधन,
उस रिश्ते को अब निभाना है।
अपने मायके को भूलकर हमें,
ससुराल को अपनाना है।।

यहां के लोगों से घुल मिलकर ही,
सबके ह्रदय में जगह बनाना है।
उनको खुश रखने के लिए ही,
हमें अपने आप को भूल जाना है।।

यहां के रस्मों रिवाजों को समझकर,
अब इसे ही अपनाना है।
मेरा मुझमें कभी कुछ था ही नहीं,
यही बात अपने आपको याद दिलाना है।।


किरन झा (मिश्री )
ग्वालियर मध्य प्रदेश

-किरन झा मिश्री

Hindi Poem by किरन झा मिश्री : 111810221
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