मनुहार
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मनुहार करें हम तो बहारों से
खुशबू आती रहे सदा फिजाओं से
झूमती रहे डालियाँ यूँहीआनंदित
मन कभी न भरे खूबसूरत नजारों से।
बिखरा पड़ा धरा पर सौंदर्य का खजाना
इन पर सब को प्यार हमेशा है लुटाना
धरा देती है हम को अनगिनत उपहार
इसका मूल्य हमे सम्मान से है चुकाना।
जीवन के इंद्रधनुष ढलते हैं इनके रंग
करवट बदलती है जिंदगी इनके संग
मनुहार करते हैं बार-बार हर बार ही
प्रकृति से सीख लें जरा इनके ढंग।
आभा दवे
मुंबई