फूल हमें सिखाते हैं ........
काँटों से घिरकर भी सदा मुझ - सा खिलते रहना तुम,
मौसम चाहे जितने बदलें , बस रंग बिखेरते रहना तुम ।
चाहे पार्थिव - देह पर जाऊँ , चाहे हो जाऊँ आराध्य को अर्पण ,
श्रद्धा - सुमन बन मान ही पाऊँ , करके मैं अपना जीवन - तर्पण ।
आँधी - तूफ़ाँ में भी धीरज अपना न डिगने देना ,
टूटकर बिखर भी जाओ तो इत्र बन महकते जाना ।