बदलते जमाने के साथ ...........
मैंने भी कुछ यूँ खुद को बदल लिया है
गुजरते वक्त के साथ सब बदल गया है
मुश्किलों से छूटे हम जो महामारी ने पकड़ा
इंसान छूटा तो रिश्तों को कोरोना ने जकड़ा
कहीं परिवारों को अनूठे बंधन में जोड़ गया तो
कहीं अपनों के बीच एक रेखा- सी खींच गया
तुम दो कदम बढ़ाओगे , मेरे चार कदम बढ़ेंगे
तुम दो कदम हटाओगे , मेरे दस कदम हटेंगे