मेरे लिए बड़े शौभाग्या की बात हैं मेरे द्वारा दिए गये सिक्के साँई संग्रहालय, साँई मंदिर शिकारपुर में व हाथ से लिखी दर्पण छवि में रामचरितमानस, A4 ऐल्यूमिनीयम शीट पर दर्पण छवि में लिखी “पीयूष वाणी” जो पीयूष ने लोहे की कील को हथोड़े से ठोंक ठोंक कर लिखा हैं व सिक्के वृन्दावन स्थित “वृन्दावन शोध संस्थान” के संग्रहालय को भेंट किए. इस पोस्ट के माध्यम से मैं ये अवगत कराना चाहता हूँ की यह ईश्वर कृपा से मेरे द्वारा जो संग्रह किया गया हैं वो हर भारतीय का हैं और मैं इस संग्रह को भारत सरकार को भेंट करना चाहता हूँ … और मेरा निवेदन हैं भारत सरकार से इस संग्रह को संग्रहालय में रखे … जिसमें हाथ से लिखी दर्पण छवि की पुस्तकें हैं मेरा मानना हैं जो दुनिया में अपने आप में अनोखी हैं.सुई से लिखी पुस्तक,दर्पण छवि में श्रीमदभगवद्गीता( हिंदी व इंग्लिश), मेहंदी कौण से लिखी पुस्तक, कार्बन पेपर से लिखी पुस्तक,….. आदि.