मन में विचार हैं कुछ जो
बादलों की तरह घुमड़ते हैं
कलम चुपचाप मेरी तरफ
मुस्कुराती हुई देखती है
कोरा कागज़ ये सोचता है
जाने कौन से शब्द ये मुझपर
किस तरह से उकेरने वाली है
और मैं मूक बनी सोचती हूं
दिल के जज़्बात लिखूं
या गम - ए - हालात लिखूं
-अनुभूति अनिता पाठक