"गुलाब को क्या गुलाब दूं मै"
क्या दूं गुलाब मै उसको,
जो खुद एक गुलाब सा है।
होंठ जिसके गुलाबो की पंखुड़ी जैसी,
नजरे जिसकी मानो गुलाब के कांटे ,
बोले तो मिठास जैसे गुलाब की सुंगध हो,
रूठे तो खटास जैसे गुलाब की पत्तिया हो❤️❣
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-SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》