प्रतिदिन का संघर्ष है ये जिंदगी
तय खुद को करना है कैसे जीना है
रास्ते दो होते है पता होता है फिर भी
कोन से रास्ते पे क्या है वह भी मालूम है
लेकिन रास्ता कितना खराब है
ये जानने की जिज्ञासा में
हम दल दल फसते जाते है
द्दढ़ निश्चय है दिल मे
फिर क्यों जाना इधर उधर
कमजोर खुद का मन है
फिर क्यू देना दोष रास्ते को
-Shree...Ripal Vyas