कहा था कभी तुमने "जब चलना हो बता दियो !" ,
हाँ ! आज कहती हूँ ! चलना है मुझे ! आवाज
देकर बुला लियो ! !
देना आवाज ऐसे की कि हृदय कपाट खुल जायें ,
आवाज कानों से होते हुयें रूह मे घुल जाये |
रोक न पाये मुझे कोई , कोई बंधन,
पग उठे तो , तुमपर ही आकर रुक जाये |
है एक ही बंधन, बस यही याद रहे |
दूसरी न कोई और बात रहे ,
है जीना वही क्षण |
जो कभी न समाप्त रहे |
08/5/2022