मां एक अहसास
मां में समाई सारी कायनात।
अपने बच्चों के इर्द गिर्द सिमटा
एक मां का सारा संसार।
गीले में खुद सोती, सूखे में उन्हें सुलाती
डांटकर उन्हें अकेले में आंसू बहाती।
भरपेट खाता देख अपने बच्चों को
उसकी सुधा तृप्त हो जाती।
अपनी जीवन संध्या में भी
अपने बच्चों की फ़िक्र उसे सताती।
कभी आंच ना आए मेरे बच्चों पर
एक मां मरते दम तक ईश्वर से यही दुआ मनाती।
-Saroj Prajapati