मेरी मंजिल केवल तुम हो !
है रास्ते समय को निभाने के लिए,
चल रही हूँ चलने के लिए लेकिन !
मेरी मंजिल तुम हो !
हाँ ! तय किया है कुछ ,करना है|
लेकिन केवल करने के लिए |
तुम संकल्प हो प्राण की दहलीज पार तक |
जानती हूँ बिना चले भी पहुँचना ही है ,
मगर ! चलना है चलने के लिए बस ,
हाँ ! सोचा है कदमों की गति थोड़ा तेज करुँगी ,
शुरूआत मध्यम से ही | जो छूट गई गये रास्ते उन्हे पकड़ने के लिए |
हाँ मगर! बैठना नही है राह मे लेकिन !
चलना है केवल चलने के लिए |
मेरी मंजिल केवल तुम हो |