सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत हैं पाँच शब्दों पर मेरी ओर से दोहे।
*सूरज, धरती, गगन, पारा, पखेरू*
1 सूरज
दिखा आँख सूरज चला, अस्ताचल की ओर।
चंदा ने शीतल किया, धरती का हर छोर।।
2 धरती
धरती की पीड़ा यही, उजड़ा घर संसार।
खनिज संपदा लुट गई, वृक्षों का संहार।।
3 गगन
नील गगन में उड़ रहे, पंछी संग जहाज।
मानव के पर उग गए, समय कर रहा नाज।।
4 सूरज
सूरज का पारा चढ़ा, बढ़ा ग्रीष्म का रूप।
धरती तप कर कह उठी, बदरी लगे अनूप।।
5 पखेरू
प्राण पखेरू उड़ गए, तन हो गया निढाल।
अर्थी सज कर चल पड़ी, रिश्ते सब बेहाल।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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