सभी प्रबुद्ध आदरणीय जनों के सामने प्रस्तुत हैं पाँच शब्दों पर मेरी ओर से दोहे, सादर समीक्षा हेतु 🙏🙏🙏
*ताल, नदी, पोखर, झील, झरने*
1 ताल
ताल हुए बेताल अब, नीर गया है सूख।
सूरज की गर्मी विकट, उजड़ रहे हैं रूख।।
2 नदी
नदी हुई है बावली, पकड़ी सकरी राह।
सूखा तट है देखता, जीवन की है चाह।।
3 पोखर
पोखर दिखते घाव से, तड़प रहे हैं जीव।
उपचारों के नाम से, खड़ी कर रहे नीव।।
4 झील
झील हुई ओझल अभी, नाव सो रही रेत।
तरबूजे सब्जी उगीं, झील बनी है खेत।।
5 झरने
हरियाली गुम हो रही, सूरज करता दाह।
बियाबान झरने पड़े, दर्शक भूले राह।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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