असीमित पीड़ा की अनुभूति लिए बाजार में बेढंगे वस्त्रों को पहनकर पहन कर नाचती कलम को देखकर ,
सादगी मे ढकी सुन्दरता को |
जी में तो आता है कि रंग रोगन कर दिखा दूँ , खुद को की खूबसूरती कहते किसे हैं , मगर ! तभी आवाज आती है अंदर से सुन!!! झांक कर देखा हृदय में जहाँ मौलिकता खड़ी है हाथ जोड़े जैसे माँग रही हो प्राण दान ||
24/4/2022