मैं और मेरे अह्सास
आँखों में शर्म -हया का हिजाब रखा करो l
सुनो खुदाया चहेरे पर नकाब रखा करो ll
जब लोगों की अंगुलियां बढ़ने लगे तब l
ज़माने को देने मूतोड़ जबाव रखा करो ll
कई कशिशो ने रूह में डेरा ड़ाला हुआ है l
दिल मे तमन्नाओ का शराब रखा करो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह