विषय-एक इंसान रूपी भेड़िया
दिनांक-19/04/2022
किसी ने उस पर विश्वास करके,
बहुत ही प्रेम उससे किया था।
छोड़कर घरवालों के साथ को,
उसके हाथ को थाम लिया था।।
दूर किसी नये शहर में हम दोनों,
अपना एक नया आशियाना बनायेंगे।
रहेंगे दोनों साथ मिलकर प्रेम से,
और सदा के लिए एक-दूजे के हो जायेंगे।।
पर भान नहीं था उसको अपने साथी का,
कि वो प्रेम में उसे छल रहा था।
सच्चा प्रेम दिखाकर वह तो उसे,
दूसरी जगह बेचने का उपकर्म कर रहा था।।
एक इंसान के रूप में उसके अंदर,
एक खतरनाक भेड़िया रहता था।
जाने कितनों को धोखा देकर वो तो,
कोठे पर लड़कियों को बेचने का धंधा करता था।।
जब पता चला उसको अपने साथी की सच्चाई का,
तो उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई थी।
एक दरिंदे भेड़िये के हाथों अब वह,
एक कोठे पर जो बिक गयी थी।।
किरन झा(मिश्री)
ग्वालियर मध्यप्रदेश
-किरन झा मिश्री