वो पागल सा ज़िद्दी लड़का
हर बात पर रूठ यूँ जाता है...
ग़ुस्सा मैं होती हूँ
और ख़ामोश वो हो जाता है...
इक नज़र से देख उसने
ना जाने कितने सपने सजाये है...
उसकी बातों में खो कर मैंने
ना जाने कितने लम्हे चुराए है...
मेरे लिए तो इश्क़ वही है
और बस वही पूजा जाता है...
वो पागल सा ज़िद्दी लड़का
हर बात पर रूठ यूँ जाता है...
-स्मृति