आज पता चला तूने उसे कितना चाहा था।
पर क्या एक लम्हे के लिए ही सही
तुझे मेरा ख्याल आया था।।
कोई शक नही मुझे तेरी मोहब्बत पर ।
कुछ पलो के लिए ही सही
तू यकी तो करता मेरी इबादत पर।।
तेरे लिए ही खुद को यूँ सम्हाल रखा है।
तेरी खुशबू से यूँ खुद को थाम रखा है।।
बेशक तू प्यार कर किसी और को बेपनाह।
पर इश्क मेरा झूठा है बोल कर इसे सरेआम न कर।।
तेरी मोहब्बत मे यूँ खुद की हस्ती मिटाए बैठे है।
तेरी सांसो को खुद मे यूँ सिमटाए बैठे है।।
इस उम्मीद मे यूँ सांसो को सम्हाल रखा है।
तू आयेगा एक दिन इसलिए
इन आंखो ने इंतजार रखा है।।
मीरा सिंह
-Meera Singh