समंदर के मोती....✍✍✍
आंखों का अश्क-ए-मोती ,हमारी नैनो पे जिलता है
यादो की किताबो से जब, वो मुर्ज़ाया गुलाब मिलता है
एक खज़ाना खोल दु जो याद एक तेरे साथ मिले मुजे
उस ख़ज़ाने से तेरे साथ बीते हुए पल का पैगाम मिलता है
गम हमारे दिल का ये अश्क़ नही झेल पाते है
जो सारे जहां में नही वो इलाज हमे शराबों में मिलता है
आज़ाद है अब कलम मेरी जो कोई नज़्म लिख दे
हर एक ग़ज़ल में ज़िक्र-ए-इश्क़ तेरा नाम मिलता है
लोग ढूंढ रहे इस महोब्बत को मेरे लफ़्ज़ों में ,अल्फ़ाज़
ये समंदर का मोती है किनारे पे कब मिलता है