माना ऐ ज़िंदगी तू बहुत व्यस्त है
नहीं देती कभी तू हमें फुर्सत का एक पल
लेकिन हम भी ठहरे उस्ताद बड़े
छोटे छोटे लम्हों को तेरी आंखों से
काजल की तरह चुरा लेते हैं
मिलकर उन्हीं व्यस्त लम्हों में
अपनों संग खुशियों के चंद गीत
वक्त बेवक्त गुनगुना ही लेते हैं।।
-Saroj Prajapati