भाग्य और विधाता इन्हें दोष देना बंद करो ! क्योंकि जो भी घटित होता है खुद के ही कर्म रूपी बीज का फलित परिणाम रूपी वृक्ष है जिसे
बबूल समझो या आम !
कष्ट समझो या हर्ष
शोक समझो या शांति
हमारे कर्मों के निर्माता और निर्देशक हम खुद होते हैं।
जीवन के फ़िल्म का अंत सुखद या दुखद होगा यह कोई और तय नहीं कर सकता!
-गायत्री शर्मा गुँजन