कुछ लम्हो की मिठास
आज फिर याद आई है
उसकी बाहो मे लिपटी
वो हसी शाम याद आई है।
वो उलझा रहा अपने कामो मे कुछ इस तरह
फिर भी होठो मे दबी वो मुस्कान याद आई है।।
ऐ खुदा काश कभी तेरा पैगाम आए
वो मुझसे मिलने काश किसी शाम आए।
उसे खुद की नजरो से दूर न होने देना है
उसी के गले लगकर उसी मे जगना सोना है।।
मीरा सिंह
-Meera Singh