एक बेस्टसेलर लिखने के चक्कर में एक लेखक कितना पिसता है इसकी कहानी है Abhilekh Dwivedi की नई किताब बेस्टसेलर में और मेरे हिसाब से सिर्फ किसी लेखक की नहीं बल्कि हर उस शख्स की कहानी है जो एक झटके में फैसला लेता है और अपना हित अहित बाद में सोचता है लेकिन तबतक देर हो जाती है क्योंकी असल जीवन में आपके कर्मों से हुए नुकसान की भरपाई इतनी आसानी से नहीं होती।
किताब मजेदार है, आजकल के लेखकों पर तंज भी है और काफी सस्ती भी, कहानी की लंबाई भी इतनी ही है की आप आराम से कुछ घंटों में पढ़कर समाप्त कर सकते हैं, एक बार जरूर पढ़ें।
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