हर जगह तुम ही हो,भरी हुई....
कोना एक भी नहीं जो खाली हो तुमसे।
सांसों की इल्तिजा तुम हो,
मनमोहक मन प्रेम की प्याली हो।
गर लिखूं तो बहुत कम होगा,
पढ़कर के तुम्हें भी गम़ होगा।
रह जायेंगे भाव अनगिनत सब धरे,
केवल कुछ शब्द नहीं मेरी पूरी जिंदगी हो तुम।।
मुझे मालूम है,मेरी भावना किस रंग की है,...
जैसी भी है वो मेरे अंग-संग की है।
तुम ऐसे ही दोष न दिया करो उसे,
वो मेरी है सो मेरे ढंग की है।।
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Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111791872

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