दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है
कहकर मैं अपने घर से चला।
यहाँ पहुँचते तक
जगह-जगह मैंने यही कहा
और यहाँ कहता हूँ
कि दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है।
जहाँ पहुँचता हूँ
वहाँ से चला जाता हूँ।
दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है—
बार-बार यही कह रहा हूँ
और कितना समय बीत गया है
लौटकर मैं घर नहीं
घर-घर पहुँचना चाहता हूँ
और चला जाता हूँ।
स्रोत :
पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 14) रचनाकार : विनोद कुमार शुक्ल प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन संस्करण : 2012
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