अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आँचल में है दूध और आँखों में पानी
यही पढ़ सुन जागा पुरुष
आगे पीछे भागा पुरुष||
पिया दूध उस आँचल का
उसी को फिर ताका पुरुष
परिवर्तन नियम है सृष्टि का
नारी नही पृथक है सृष्टी से||
दिया ईश्वर ने वरदान
आँचल में दूध अमृत सामान
आँसू देता रहा समाज
उसे ना आई कभी भी लाज||
पुरुष के छल से कुम्हलाई
कलुषित हुई नारी
पुरुष के कंधे से कन्धा मिलाया
इज्जत, मान, सामान बढाया||
वात्सल्य और ममता की मूरत
धरती पर ईश्वर को सूरत
स्वीकार करो तुम परिवर्तन
यही है सृष्टी का नियम ||
गुणों की खान नारी
घर की शान नारी
कल भी थी महान नारी
कल भी रहेगी महान नारी||