वो पहेली मुलाकात थी हमारी..
बहोत बाते थी मन में,
जो उनसे कहेनी थी..
पर कुछ भी न बोल पाई थी..
नि:शब्द हो गए थे मेरे लब,
फिर क्या था
उनकी आंखो में ,देखा और उनमें ही गुम होती चली गई...
उनकी गहरी आंखों में डूबती ही चली गई
कुछ बोलने की जरूरत ही न हुईं
लब खामोश रह गए
और
आंखे ही बोलती चली गई..
कुछ इस तरह से, प्यार का इजहार करती रही.
डूबी भी इस तरह, उनकी प्यारी आंखो में की आज तलक,
न बाहर आ पाई....
-Anurag Basu