🦕 डायनासोर 🦖 , हास्य-व्यंग्य😁😂 - लघुकथा
हमने दुकान वालें से उत्सुकता से पूछा - " भैया एक जिंदा डायनोसोर देना ? "
वो हैरानी से बोला- " अरे.. बुड़बक.., का..बें पगला गये हो
या मुवी-वुवी में जिंदा डायनोसोर देखकर, बहकी-बहकी बातें बताने लगे हो, कही हमारा दो रुपए का धंधा चोपट करने का तो इरादा नहीं है ।"
" नाही..भैया ऐसा नहीं है.., हमें तो सचमुच वाला वो आग
उगलने वाला डायनोसोर चाहिए ? "
वो जोर से बोला- " काहे.., सुबह सुबह बच्चों जैसी जिंद लेकर बैठें हो ? अपने घर की एलसीडी तोड़कर तुरन्त निकाल दों !,
"भैया.. हमें ने तो एलसीडी भी तोड़ दि, पर साला वो जानकर निकला ही नहीं, उल्टा मम्मी के धोबी पछाड़ फटके खाने पड़े ,
पर, आप कुछ भी करो हमें तो आपसे ही वो डायनोसोर चाहिए,
जो बड़े बड़े पोस्टर में बाहर दीवारों पर चिपकाया हैं ? "
वो गुस्से में बोला- " अबें..का, डायनोसोर को लाने हम आसमां फोड़े, या पाताल खोदें ।"
भैया.. आप तो खिलौनों की दुकान में सबकुछ रखते हो तनिक आज वो मुवी वाला डायनोसोर दिलवा दिजिओ ताकि हम ठाठ-बाट से उपर बैठकर घर जाएंगे ? "
इतने में एक भाई साब बोले- " अरे..छोरे जुरासिक पार्क वाले स्टीवेन स्पीलबर्ग से पूछनो पडेगो वो बडीयों जिंदों डायनासोर रखतो हे ।"
अब तो रहनो दो भाया- " विदेश कोणी जाणो विजो टिकिट घणों मंहगो हो गयो, ओर उपर से मन्नें इंग्लिश की फूटी कौड़ी न पल्लें पड़े ? "
छोरा.. चिंतो मती करियो एजेंट मिल जाऐगो, वो तन्नें अमेरिका ले जाऐगो ।"
" ना..,ना..भाया.. वो मन्नें पक्कों लूट लेगों, फोरेन में नंगों भिख मंगाऐगों ।
अब छोरा.. विदेश जाणे को सपणो रहने दें ।"
अब भाया क्या करें..? माटि को मुर्दों खिलोनों कदि भायो नाहि..!"
छोरा..., इक काम करियों बकरी को ताजो-ताजो दूध पीकर सो जाणो थारे वास्ते सपणे म्हें बढों डायनोसोर का भूत मिलेगो, वो तन्नें पीठ पर बिठाकर फोरेन ले जाऐगो ।
ऐसा हे.. तो ठिक है भाया..!
अब तो बकरी को ताजो ताजो दूध पीकर डायनोसोर को लंबो सपणो देखनो पडेगो ।
-© शेखर खराड़ी
तिथि ४/३/२०२२, मार्च