इस जिन्दगी की राह मे मै
यूँ ही खड़ी कुछ आस करती हूँ ।
तुम आओगे मुझसे मिलने एक दिन
इसलिए मै तुम्हारा इन्तज़ार करती हूँ। ।
न कोई वादा न रस्मे उलफत की तुमने
फिर भी मै दुआओ मे सिर्फ तुम्हारी ही मांग करती हूँ।
सात फेरो का रिश्ता नही है हमारा
फिर भी मै ये श्रृंगार सिर्फ तेरे नाम करती हूँ। ।
ये रिश्ता एहसास-ए-रूह का रूह से है
इसलिए तेरी यादो से मै अपनी तन्हाई को आबाद करती हूँ।
इस जिन्दगी की राह मे मै
यूँ ही खड़ी कुछ आस करती हूँ।।
मीरा सिंह
-Meera Singh