मैं और मेरे अह्सास
इश्क की पाती आई है l
आंख मे पानी लाई है ll
सालों से अनकही हुईं l
बात दिल की समाई है ll
मिरी दिल बहलाने के लिए l
ख़ुद की तस्वीर बनाई है ll
पढ़ते ही उसे तू मुस्कुराए l
अलंकारों से उसे सजाई है ll
प्यारे तोहफ़े का प्रतीक l
गुलाबी रिबन लगाई है ll
२४-२-२०२२ सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह