कभी प्रेम में सनम को पुकारा करते थे।
अब उन्हें अधिकारी के नाम से पुकारेंगे।।
प्रेम का पत्र लेकर आया हूँ दरिया किनारे।
यातो दिल मे बसा ले या दरिया में उतारे।।
प्रस्फुटित होता कैसे प्रेम सनम से।
उसने सम्मुख आने से इनकार किया।।
हक़ीक़त दिल की गर बयाँ कर दुँ।
तो मोहब्बत के हालत ठीक होंगे।।
दिल कहाँ सनम के पास।
उसे जितना है विश्वास।।
दुनिया के सागर को लांग कर आया हूँ।
एक प्रेम का गुलाब 🌹 सनम के लिए लाया हूँ।।
-!~कृष्णा~!