आज यही कुर्सी पर बैठे
तेरा इन्तज़ार करती हूँ ।
तेरी यादो से खूद को मै
यूँ ही आबाद करती हूँ ।।
बीते हुए पलो से
खूद को मै
श्रृंगार करती हूँ।
तेरी बाहो की छाव मे मै
आज फिर आराम करती हूँ।।
अब तो चले आओ
मै तुम्हारा ही इंतजार करती हूँ।।
मीरा सिंह
-Meera Singh