उम्र , पद, प्रतिष्ठा , रूप , रंग देखकर केवल संबध जुड़ते है | प्रेम इन सबसे परे है , प्रेम कई जन्मो की तपस्या का परिणाम है | यह बीज है जो हर जीव मे रहता है , समय आने पर स्वतः आधार प्राप्त कर लेता है | इसे बाँधना सहज नही न ही अनुकूल ,प्रेम स्वंय बंधन , समर्पण है , स्वंय मे अनुबंध है |