माँ नर्मदा
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मगरमच्छ पर हो सवार
बह चली नर्मदा की धार
रेवा नाम भी है इक प्यारा
इस लंबी नदी का रूप है न्यारा।
अमरकंटक को अमर कर रही
गुजरात को भी पावन कर रही
लोगों के दिलों में बस कर
आस्था का रूप ये तो ले रही।
सदियों से यह धरा पर बह रही
और अपनी कहानी कह रही
शिवजी की है इस पर कृपा
कल -कल बह रही यह तो सदा।
इस पावन नदी पर सभी डुबकी
लगाकर ,करते पूरी मनोकामना
पितरों को यह है तारती
माँ सा है दुलारती ।
करती सभी का उद्धार
पाप को भी काटती
अपने हर पत्थर में शिव जी
को ही ढालती।
माँ नर्मदा की गाते सभी मंगल आरती
दीपदान कर माँ का आशीष पाते
नर्मदा के दर्शन मात्र से अपने आप को
खुशहाल पाते , नई उर्जा भर लाते
जय माँ नर्मदे, जय माँ नर्मदे ।
आभा दवे
मुंबई