My Spiritual Poem..!!!
यारो जो भी आता है बेसबब
एक नई चोट हमे दे कर जाता है
माना मजबूर तो है हम अदब
के दायरे मे मगर पत्थर तो नही
एहतराम हर बशर मे बसे
प्रभुजी का हमारे सर ऑखों पर
पर हम भी तो आखिरकार
इन्सान ही है दर्द हमे भी होता है
दो चार चोट तो मायने नही
रखती हमारी बर्दाशत की इन्तेहा
पर चौटो का अम्बार आखिर
कब तक कोई बर्दाश्त करता रहे
सीने बीच दिल में दर्द तो होता
पर वहा लग सके एसा मरहम भी नही
दिया जिस्म जिसने वही रब
बर्दाशत की सलाहियत भी दिया है
वर्ना गमो के सैलाब पी कर
भी बंदा जिन्दा करामात नही तो कया
😔🥀👇
-Rooh The Spiritual Power